Education System? Or Hamari Soch?
अक्सर लोग यह कहते हैं कि हमारी शिक्षा प्रणाली (Education System) सिर्फ़ नौकरीपेशा लोग (Employees) पैदा कर रही है, न कि बिजनेस माइंडसेट (Entrepreneurial Mindset) वाले लोग। लेकिन क्या सच में सिर्फ़ शिक्षा प्रणाली ही इसके लिए जिम्मेदार है, या हमारी खुद की सोच भी इसमें भूमिका निभाती है?
एक क्लासरूम का अनुभव आज मैं कॉलेज में था। हमारे प्रोफेसर पढ़ा रहे थे, लेकिन कुछ देर बाद उन्होंने हमें जीवन से जुड़े कुछ तथ्य और एक सच्ची सफलता की कहानी बतानी शुरू की। उन्होंने बताया कि कैसे उनके ही एक जानकार ने एक छोटे से कमरे से अपना बिजनेस शुरू किया और करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया।
इतना ही नहीं, वह हमें स्टार्टअप और बिजनेस के बारे में जागरूक कर रहे थे। उन्होंने समझाया कि समय लगेगा, संघर्ष होगा, लेकिन अगर सही दिशा में मेहनत करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने कुछ ऐसे बिजनेस आइडिया भी बताए, जिनकी आज भी बाज़ार में जबरदस्त मांग है और आने वाले समय में और भी बढ़ेगी।
लेकिन इस बीच, कई छात्र उनकी बातों में रुचि नहीं ले रहे थे। वे हंसी-मज़ाक कर रहे थे, अपने दोस्तों के साथ टाइम पास कर रहे थे। यानी जब कोई सरकारी कर्मचारी होते हुए भी हमें नौकरी से हटकर बिजनेस के लिए प्रेरित कर रहा था, तब भी हम उसे सीरियसली नहीं ले रहे थे।
तो गलती सिर्फ़ एजुकेशन सिस्टम की है या हमारी सोच की? लोग अक्सर शिक्षा प्रणाली को दोष देते हैं कि यह हमें सिर्फ़ नौकरी करने लायक बनाती है, नौकरी देने लायक नहीं। लेकिन जब कोई हमें बिजनेस और सफलता की दिशा दिखा रहा था, तब भी हम उसे अनसुना कर रहे थे।
तो क्या ये सिर्फ़ एजुकेशन सिस्टम की गलती है? या फिर यह हमारी खुद की मानसिकता (Mindset) का भी मामला है?
हमारे सोचने का तरीका बदलना होगा कॉलेज में सिर्फ़ डिग्री लेना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि वहां से कुछ सीखना भी ज़रूरी है। सीखने की इच्छा (Curiosity) होनी चाहिए, चाहे वह क्लासरूम से मिले, या किसी असल ज़िंदगी के अनुभव से। मौके को पहचानना सीखें। जब कोई जानकार व्यक्ति आपको बिजनेस, स्टार्टअप और सफलता की बातें बता रहा हो, तो उस पर ध्यान दें, हंसी-मज़ाक में न उड़ाएं। दूसरों को दोष देने से पहले खुद को देखें। क्या हम खुद इस शिक्षा प्रणाली का सही इस्तेमाल कर रहे हैं?
निष्कर्ष
सिर्फ़ एजुकेशन सिस्टम को दोष देना सही नहीं होगा। बदलाव लाने के लिए हमें खुद भी सीखने की मानसिकता विकसित करनी होगी। अगर कोई हमें सही राह दिखा रहा है, तो हमें उसे समझने की कोशिश करनी चाहिए, न कि उसे नज़रअंदाज़ करना चाहिए। वरना बाद में यही कहकर अफसोस करना पड़ेगा कि “हमारी शिक्षा प्रणाली ने हमें कुछ नहीं सिखाया।”
तो अगली बार जब कोई आपको सफलता की राह दिखाए, तो हंसी-मज़ाक करने की बजाय सीखने पर ध्यान दें। क्योंकि शिक्षा प्रणाली एक रास्ता दिखा सकती है, लेकिन चलना आपको खुद पड़ेगा।
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